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World Stroke Day: जानिए कैसे दिमाग को क्षति पहुंचाता है स्ट्रोक

स्ट्रोक के बारे में कहा जाता है कि यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें दिमाग में मौजूद किसी रक्त वाहिका को क्षति या उससे रक्त स्राव होने लगता है।

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दिमाग में मौजूद रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज होने पर रक्त प्रवाह रुक जाता है, जिससे भी स्ट्रोक की समस्या हो सकती है। यह एक गंभीर शारीरिक समस्या है। रक्त वाहिका में ब्लॉकेज होने से दिमाग में मौजूद टिश्यू तक ऑक्सीजन और रक्त नहीं पहुंच पाता है। जिससे उनको पोषण प्राप्त नहीं होता और वो क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।

इस्कीमिक स्ट्रोक के बारे में (Ischemic Stroke)

इस्कीमिक स्ट्रोक अंतर्गत दिमाग तक ऑक्सीजन और पोषण पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाएं संकरी या ब्लॉक हो जाती है। इस स्थिति में रक्त वाहिकाओं में ब्लड क्लॉट्स बन जाते हैं और रक्त प्रवाह रुक जाता है। एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) के टूटने से भी उसके अंश रक्त वाहिकाओं को अवरूद्ध कर देते हैं। इस्कीमिक स्ट्रोक के दो प्रकार होते हैं, पहला थ्रोंबोटिक (thrombotic) और दूसरा एंबोलिक (embolic)। जब दिमाग तक रक्त पहुंचाने वाली रक्त धमनियों में ब्लड क्लॉट बन जाता है और रक्त प्रवाह को बाधित करता है, तो थ्रोंबोटिक स्ट्रोक कहलाता है। जबकि दूसरी तरफ, जब ब्लड क्लॉट या अन्य डेब्रिस शरीर के दूसरे हिस्सों में बनता है और रक्त के द्वारा दिमाग तक पहुंचकर रक्त वाहिकाओं को बाधित करता है, तो एंबोलिक स्ट्रोक कहलाता है।

ट्रांजियंट इस्कीमिक स्ट्रोक के बारे में (Transient Ischemic Attack; TIA)

स्ट्रोक के बारे में काफी रिसर्च की गई है। इसका एक प्रकार ट्राजियंट इस्कीमिक स्ट्रोक है। इसे मिनीस्ट्रोक या टीआईए (TIA) भी कहा जाता है। इस समस्या के दौरान ब्लड क्लॉट या अन्य डेब्रिस की वजह से रक्त वाहिकाएं अस्थाई तौर पर बाधित होती है। हालांकि, इससे लक्षण भी इस्कीमिक स्ट्रोक के जैसे हो सकते हैं, लेकिन यह लक्षण कुछ देर या घंटों के बाद सामान्य हो सकते हैं।

हेमोरेजिक स्ट्रोक के बारे में (Hemorrhagic Stroke)

इस्कीमिक स्ट्रोक के बारे में कहा जाता है कि जब दिमाग में किसी रक्त वाहिका के फटने या उससे रक्त स्राव होने लगे तो इसे हेमोरेजिक स्ट्रोक कहा जाता है। इसके बाद, रक्त वाहिका से निकला खून खोपड़ी में अतिरिक्त दबाव बनाता है और दिमाग को सूजा देता है। इस दौरान दिमाग के टिश्यू और सेल्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।

हेमोरेजिक स्ट्रोक के दो प्रकार होते हैं। जिन्हें इंट्रासेरेब्रल स्ट्रोक (Intracerebral Stroke) और सबअर्कनॉइड स्ट्रोक (Subarachnoid Stroke) कहा जाता है। इंट्रासेरेब्रल स्ट्रोक हेमोरेजिक स्ट्रोक का सबसे आम प्रकार है, जिसमें दिमाग में मौजूद टिश्यू आर्टरी फटने उससे रक्त स्राव होने की वजह से निकलने खून की वजह से सूज जाते हैं और क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। जबकि, दूसरी तरफ सबअर्कनॉइड स्ट्रोक दिमाग में मौजूद टिश्यू से ब्लीडिंग होने लगती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, स्ट्रोक के करीब 13 प्रतिशत मामले हेमोरेजिक स्ट्रोक के होते हैं।

स्ट्रोक का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?

आमतौर पर स्ट्रोक के बारे में तीन ट्रीटमेंट चरण बताए जाते हैं, जिसमें बचाव, स्ट्रोक के तुरंत बाद थेरेपी और पोस्ट स्ट्रोक रिहैबिलिटेशन शामिल होती है। स्ट्रोक के तुरंत बाद दी जाने वाली थेरेपी पहली बार आए स्ट्रोक के व्यक्तिगत जोखिमों जैसे- हाइपरटेंशन, डायबिटीज आदि पर निर्भर करती है। एक्यूट स्ट्रोक थेरेपी में स्ट्रोक के दौरान ही उसकी वजह यानि ब्लड क्लॉट को मिटाया जाता है या फटी हुई रक्त वाहिकाओं को सही किया जाता है।

पोस्ट स्ट्रोक रिहैबिलिटेशन में स्ट्रोक की वजह से मरीज को हुए नुकसान या डिसेबिलिटी को सही किया जाता है। स्ट्रोक का सबसे आम ट्रीटमेंट मेडिकेशन या ड्रग थेरेपी होती है। जिसमें स्ट्रोक से बचाव या सही करने के लिए एंटीथ्रोंबोटिक्स या ब्लड क्लॉट को मिटाने वाले ड्रग दिए जाते हैं।

 

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