आयुर्वेदिक तरीके से मनाएं होली, त्वचा को बचाएं खतरनाक केमिकल रंगों से

आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने का महत्व क्या है?

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जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान ने बताया कि होली खेलने के पीछे भी कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ छिपे हो सकते हैं, बशर्ते आप आयुर्वेदिक तरीके से होली खेल रहे हों। आयुर्वेदिक होली खेलने के दौरान त्वचा पर हर्बल रंग लगाने से त्वचा खिल उठती है और नई त्वचा कोशिकाएं उसी तरह से बनने लगती हैं, जैसे बसंत ऋतु के आने पर पेड़-पौधों पर नए पत्ते और फूल आने लगते हैं।

बीमारियां इन वजहों से होती हैं

उन्होंने आगे बताया कि, आयुर्वेद के अनुसार, बीमारियां पृथ्वी के पांच तत्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और शरीर में मौजूद पानी में गड़बड़ी का परिणाम हैं। इस अंसतुलन के कारण वात, पित्त और कफ के तीन दोष पैदा होते हैं। ये तीन असंतुलन पैदा करने वाले मुख्य कारक मौसम में होने वाले बदलाव हैं। इसिलए, आयुर्वेद ने इन स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए ऋतु के हिसाब से कुछ खास उपाय सुझाए हैं, जिन्हें ऋतुचार्य कहा जाता है। इसलिए, आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने के दौरान इन उपायों को इस्तेमाल किया जा सकता है और स्वास्थ्य संबंधी फायदे प्राप्त किए जा सकते हैं और कुछ समस्याओं से बचा भी जा सकता है।

आयुर्वेदिक तरीके से होली : वसंत ऋतु होती है गर्म दिनों की शुरुआत

डॉ. प्रताप चौहान के मुताबिक, होली वसंत ऋतु चक्र का एक हिस्सा है और यह गर्मी व गर्म दिनों की शुरुआत है। वसंत में बढ़ती आर्द्रता के साथ तापमान में अचानक वृद्धि के कारण शरीर का कफ पिघलता है और कफ से संबंधित अनेक बीमारियों को जन्म देता है। होली के पर्व की अवधारणा मूल रूप से शरीर को द्रवीभूत कफ से मुक्ति दिलाने तथा तीन दोषों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में दोबारा लाने के लिए बनाई गई।

कफ मिटाने वाले हर्बल रंग किस चीज से बनाएं?

जीवा आयुर्वेद के निदेशक ने कहा कि, होली की खासियत रंगों से होली खेलना है। परंपरागत तौर पर हरे रंग के लिए नीम (अजादिराष्टा इंडिका) और मेंहदी (लॉसनिया इनरमिस), लाल रंग कुमकुम और रक्तचंदन (pterocarpus santalinus,पटेरोकार्पस सांतालिनस), पीला रंग के लिए हल्दी (कुरकुमा लोंगा), नीले रंग के लिए जकरांदा के फूल तथा अन्य रंगों के लिए बिल्वा (ऐगल मार्मेलोस), अमलतास (कैसिया फिस्टुला), गेंदा (टागेटस इरेक्टा) और पीली गुलदाउदी से होली के रंग तैयार किए जाते हैं, जिनमें कफ घटाने के गुण होते हैं। डॉ. चौहान ने बताया कि, हर्बल व रंग मिलाकर पानी की बौछर करने से इनमें मौजूद औषधीय घटक त्वचा में प्रविष्ठ करते हैं और त्वचा को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं।

त्वचा के साथ पेट की सेहत का भी रखें ध्यान

आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने के साथ ही आपको अपने पेट की सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि, डॉ. चौहान के मुताबिक, होली के दिन लोग काफी मात्रा में स्नैक्स और मिठाइयां खाते हैं। इससे कब्ज व पेट की समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, आप अपनी त्वचा का ध्यान रखने के साथ अपने पेट की सेहत का भी ध्यान रखें। सब्जियों एवं फलों से भरपूर खाना बदलते मौसम के लिहाज से बेहतर है। इसके अलावा, अपने आप को हाइड्रेटेड भी रखना जरूरी है। इसके लिए खूब पानी पीएं। लोगों को जितना अहसास होता है, उससे कहीं अधिक तेजी से वसंत की धूप और हवा में मौजूद सूखापन नमी को सोख लेता है। अपने पास छोटा-सा सीपर रखें और समय-समय पर एक-एक, दो-दो घूंट पानी पीते रहें।

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