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बांझपन और उसके कारण

पराकृतिक तरीके से किसी को जन्म ना दे पाना बांझपन कहलाता है | बांझपन के दो प्रकार हैं – प्राथमिक और माध्यमिक बांझपन | प्राथमिक

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बांझपन का मतलब है – गर्भधारण करने में असफ़ल होना और माध्यमिक बांझपन का मतलब है दूसरी बार गर्भधारण करने में असफल होना |
बांझपन का किस प्रकार पता लगाया जाता है | मासिक धर्म के दौरान हार्मोन की जांच | पीरियड्स के 2 या 3 दिन पर फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन्स की जांच, अंडाशय (ओवरी) में मौज़ूद एस्ट्रोजेन के स्तर की जांच और थायरोइड की जांच आदि का प्रयोग बांझपन का पता लगाने के लिए किए जाते हैं |

**अधिक वजन और बांझपन **

12 % महिलाओं में बांझपन का कारण अधिक वजन या कम वजन ही होता है | हमारे शरीर में फैट (वसा) एस्ट्रोजन बनाता है | यदि शरीर में फैट (वसा) की मात्रा अधिक है तो इसके कारण एस्ट्रोजन का स्तर भी बढ़ जाएगा और फिर गर्भ धारण करने में मुश्किलें पैदा होंगी |
पीसीओएस/पीसीओडी और बांझपन

पॉलीसिस्टिक ओवरी, बांझपन का एक बहुत बड़ा कारण है | इसमें महिलाओं को गर्भधारण करने में मुश्किलें होती हैं और इसलिए इसका इलाज करना बेहद ज़रूरी हो जाता है | पीसीओएस/पीसीओडी में कुछ माँ बनने में सफल हो जाती हैं और कुछ कभी माँ नहीं बन पाती |

थायरोइड और बांझपन

थाइरोइड की वजह से भी गर्भधारण करने में मुश्किलें आ सकती हैं | कहा जाता है की इसकी वजह से गर्भावस्था की सम्भावना कम हो जाती है| थाइरोइड में ऑटोम्यून्यून फंक्शन होता है, जो कि गर्भधारण की असफलता का कारण कहलाता है |
मर्दों में शुक्राणुओं की कमी

शुक्राणुओं की कमी के तीन तरह के कारण हैं – प्री-टेस्टिकुलर , टेस्टिकुलर और पोस्ट-टेस्टिकुलर कारण | प्री-टेस्टिकुलर कारण हैं – पर्यावरण और स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानियां | टेस्टिकुलर कारण है – \आपके अंडकोषों की परेशानी | पोस्ट-टेस्टिकुलर कारण वे हैं जिनकी वजह से शुक्राणुओं के निकलने पर असर पड़ता है | शराब, सिगरेट, शुक्राणुओं पर असर डालने वाली दवा का कम सेवन, व्यायाम, साईकल चलाना आदि आपकी मदद कर सकता है |

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