पोलियो एक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो गंभीर रूप में नर्वस सिस्टम पर अटैक करती है।
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इस बीमारी का कारण पोलियो वायरस है। यह वायरस एक मरीज से दूसरे मरीज में फैलता है और गंभीर मामलों में मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी तक को नुकसान पहुंचाता है। कुछ मामलों में इस संक्रमण के कारण सांस लेने में परेशानी होती है और कभी-कभी यह मौत का कारण भी बन सकता है। भारत में वाइल्ड पोलियो वायरस का आखिरी केस 2011 में 18 माह की रुखसार खातून में रिपोर्ट हुआ था।
पोलियो फ्री इंडिया:
भारत को WHO द्वारा पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 27 मार्च 2014 को पोलियो-मुक्त सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ। भारत में पोलियो का आखिरी मामला 2011 में रिपोर्ट हुआ था और इसे 8 साल हो गए हैं। पोलियो को रोकने में सबसे कठिन माने जाने वाले देश में पिछले आठ साल में एक भी केस सामने न आना मील का पत्थर माना जाता है।
पोलियो के लक्षण
हालांकि, पोलियो के कारण लकवा और मौत हो सकती है। लेकिन, वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग बीमार नहीं पड़ते हैं और उन्हें पता नहीं होता है कि वे संक्रमित हो गए हैं। इसलिए पोलियो पीड़ित को किसी भी संक्रमण से बच कर रहना चाहिए। दरअसल संक्रमण की वजह से अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
नॉनपैरालिटिक पोलियो
कुछ लोग जिनमें पोलियो वायरस के लक्षण होते हैं वे नॉनपैरालिटिक प्रकार के पोलियो से पीड़ित होते हैं, जिससे लकवा नहीं होता। यह आमतौर पर एक हल्के फ्लू जैसे लक्षण और अन्य वायरल बीमारियों के लक्षणों का कारण बनता है।
लक्षण, जो 10 दिनों तक रह सकते हैं
- बुखार आना
- गले में खरास होना
- सरदर्द होना
- उल्टी आना
- थकान
- पीठ दर्द या अकड़न होना
- गर्दन में दर्द या अकड़न होना
- हाथ या पैर में दर्द या अकड़न होना
- मांसपेशियों की कमजोरी या दर्द महसूस होना
पैरालिटिक पोलियो
पोलिया का यह सबसे गंभीर और दुर्लभ रुप है। पैरालिटिक पोलियो के शुरुआती लक्षण जैसे बुखार और सिरदर्द अक्सर नॉन पैरालिटिक पोलियो की तरह होते हैं। हालांकि, एक हफ्ते के अंदर दूसरे लक्षण दिखाई देते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बॉडी की प्रतिक्रिया कम हो जाती है या खत्म हो जाती है (Loss of reflexes)
- मांसपेशियों में गंभीर दर्द या कमजोरी
- अंगों में ढीलापन (फ्लेसीड पैरालिसिस)
पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम
पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम के कारण पोलियो होने के कुछ सालों के बाद लोगों को यह प्रभावित करता। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
- मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द
- थकान महसूस होना
- सांस लेने या निगलने की समस्या
- नींद से संबंधित सासं की बीमारी, जैसे कि स्लीप एपनिया (sleep apnea)
- ठंड ज्यादा लगना
कैसे फैलता है पोलियो
- पोलियो वाले किसी व्यक्ति द्वारा बनाए हुए खाने से
- सीवेज के माध्यम से अनट्रीटेड वॉटर से जो पोलियो वायरस से दूषित हो गया हो
- पोलियो वायरस से संक्रमित व्यक्ति के नाक और गले के डिस्चार्ज के संपर्क में आने से
जोखिम
पोलियो मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। हालांकि, जिस किसी को टीका नहीं लगाया गया है, उसे बीमारी विकसित होने का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए बच्चे को आवश्यक वैक्सीन दिलवायें।
कॉन्प्लिकेशन
पैरालिटिक पोलियो से अस्थायी या स्थायी मसल पैरालिसिस, विकलांगता, हड्डी विकृति और आखिरी में मौत होने की आशंका रहती है। इसलिए डॉक्टर के बताये गये सलाह का पालन करें और समय-समय पर डॉक्टर से मिलते रहें।
इलाज
पोलियो का कोई इलाज नहीं है, केवल लक्षणों को कम करने के लिए उपचार हैं। हीट और फिजिकल थैरेपी का उपयोग मांसपेशियों के दर्द को कम करने के लिए किया जाता है और मांसपेशियों को आराम देने के लिए एंटीस्पास्मोडिक दवाएं(antispasmodic drugs) दी जाती हैं। हालांकि यह लक्षण को कम कर सकता है, यह स्थायी पोलियो को ठीक नहीं कर सकता।
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