इसमें कोई संदेह नहीं है कि मानसून चिलचिलाती गर्मी के बाद राहत लाता हैं लेकिन जलवायु मे परिवर्तन आपकी इम्युनिटी को प्रभावित करती
[the_ad id=”6114″]हैं जो आपको फ्लू, बुखार, ठंड इत्यादि जैसी विभिन्न बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशील बनाती है। हवा में बहुत से बैक्टीरिया और रोगाणु उपस्थित होने के कारण एलर्जी और इन्फेक्शन हो जाते हैं वातावरण में बढ़ी नमी आपकी पाचन क्षमता को प्रभावित करती है। इसलिए बीमारियों से निपटने के लिए प्रतिरक्षात्मक उपाय करना जरूरी है।
आयुर्वेद, हेल्थकेयर का एक निवारक रूप है। विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ विशिष्ट शारीरिक प्रणालियों और प्रक्रियाओं को पोषण देती हैं। यह मानसून से संबंधित कई रोगों को रोकती हैं और इन्फेक्शन के खिलाफ लड़ने के लिए आपके शरीर को सक्षम बनाती हैं। चलिए इन जड़ी-बूटियों के महत्व पर गौर करते हैं।
त्रिफला
त्रिफला तीन पौधों का संयोजन है – आंवला, बेलेरिक मिरबोलान और चेबुलिक म्यरोबालन। इससे आंत और बोवेल मूवमेंट (मल निकलने) के सामान्य विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने में मदद मिलती है। तीन फलों से प्राप्त घटक एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव और मल ठीक तरह से निकलने को बढ़ावा देते हैं।
मानसून के दौरान नमी पाचन को प्रभावित करती है। त्रिफला खाने से पाचन तंत्र ठीक होता है। अपने स्वास्थ्य पर इसका अच्छा असर पाने के लिए इसे हर बार भोजन से पहले इसे लें।
पवित्र तुलसी
इसे तुलसी भी कहा जाता है और इसके ठीक करने के गुण है। यह बलगम को निकालता है और खांसी को दबा देता है। यह फेफड़ों में वायुमार्ग को फैलाने से छाती के कंजेशन से राहत देता है, स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बदलता है और सांस सम्बंधित रोग को जल्द ठीक करने में सहायता करता है।
बरसात के मौसम के दौरान, आप अपने फेफड़ों, गले और नाक में नमी महसूस करते हैं। रोज़ाना तुलसी लेना नमी को कम कर देता है और फेफड़ों को साफ करता है।
रोज़ाना तुलसी को अपनी चाय या अपने भोजन में डालें। आप इसे कैप्सूल या तरल रूप में भी ले सकते हैं।
अश्वगंधा
इस जड़ी-बूटी के फिर से युवा करने वाले गुण एंडोक्राइन ग्लैंड, नर्वस सिस्टम और इम्यून सिस्टम के बीच स्वस्थ संतुलन बनाए रखने में मदद करते है। यह आपके शरीर पर लम्बे तनाव के कारण होने वाले हानिकारक प्रभावों को कम करता है। यह आपके शरीर में ऊर्जा और सहनशक्ति को बढ़ाता है। अश्वगंधा आपकी इम्युनिटी को मजबूत करके शरीर की ठीक होने की क्षमता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मानसून के दौरान, खाँसी और ठंड सामान्य बीमारियां हैं। यह सहनशक्ति को प्रभावित करता है और कमजोरी और थकान का कारण होता है। अश्वगन्ध का सेवन करने पर यह सहनशक्ति बढ़ाता है और शरीर को मजबूत करता है।
गुडुची
यह जड़ी-बूटी इम्युनिटी बूस्टर है। इसे बुखार और अन्य इंफ्केशन के इलाज के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इससे इंफ्केशन से लड़ने वाले श्वेत रक्त कोशिकाओं (वाइट ब्लड सेल्स) की प्रभावशीलता बढ़ जाती है। यह रोगक्षमता को बढ़ाता है और बीमारी से तेज़ी से ठीक करता है।
मानसून के दौरान बैक्टीरिया और रोगाणु बढ़ जाते है जिससे संक्रमण और एलर्जी हो सकती है। गुडुची को एंटी-संक्रमित उपचार के लिए बैक्टीरिया और रोगाणुओं से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
इस मानसून, इन जड़ी-बूटियों को नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य रूटीन में शामिल करके अपने आप को मजबूत बनायें और मौसम का आनंद उठाना न भूलें।
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