एंग्जायटी स्ट्रेस के प्रति आपकी बॉडी की नेचुरल प्रतिक्रिया है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि एंग्जायटी उस डर या भावना को कहते हैं जिसमें आप यह सोचते हैं कि आगे क्या होने वाला है। एंग्जायटी में कुछ परिस्थितियां जैसे कि स्कूल का पहला दिन, जॉब इंटरव्यू, स्पीच देने से पहले लोगों को लगने वाला डर शामिल हैं।
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लेकिन, अगर आपकी एंग्जायटी का स्तर ज्यादा बढ़ चुका है और यह छह महीने से ज्यादा समय से हैं। साथ ही एंग्जायटी के कारण अगर आपकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है, तो समझ लीजिए कि आप एंग्जायटी डिसऑर्डर का शिकार हो चुके हैं।
एंग्जायटी डिसऑर्डर के प्रकार
- पैनिक डिसऑर्डर
समय-समय पर पैनिक अटैक्स का अनुभव करना। पैनिक डिसऑर्डर से ग्रसित लोग अगले पैनिक डिसऑर्डर के डर में जीते हैं।
- फोबिया
किसी विशेष चीज, जगह या गतिविधि से डर को फोबिया कहते हैं।
- सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर
सामाजिक तौर पर दूसरों द्वारा जज होने के डर को सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर कहते हैं।
- सेपरेशन एंग्जायटी डिसऑर्डर
घर या अपने नजदीकी लोगों से दूर जाने का डर सेपरेशन एंग्जायटी डिसऑर्डर कहलाता है।
- इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर
बीमारी के कारण होने वाली एंग्जायटी को इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर कहा जाता है।
- पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
एंग्जायटी के कारण ट्रॉमा बढ़ जाता है।
एंग्जायटी के उपाय
एक बार एंग्जायटी का परीक्षण होने के बाद आप अपने डॉक्टर से इसके इलाज को लेकर बात कर सकते हैं। वहीं कई मामलों में मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है। इन मामलों में लाइफस्टाइल को बदलने भर से काम चल सकता है। वहीं अगर समस्या गंभीर हो गई है, तो मेडिकल हेल्प की मदद से रोजमर्रा की जिंदगी में सुधार किया जा सकता है।
कुछ साधारण उपाय करके इससे बचा जा सकता है।
- एंग्जायटी के उपाय चाहते हैं, तो आप जरूरत से ज्यादा चिंता न लें और अपने दिमाग को शांत रखें।
- अपने आपको हर मुश्किल से लड़ने के काबिल समझें और दिमाग में नेगेटिव विचारों को न आने दें। इससे आपको बुरे और नेगेटिव ख्याल नहीं आएंगे और मन शांत रहेगा।
- आपको यह तय करना होगा कि जिस भी बात को लेकर आप चिंतित हैं, उसका कोई समाधान है या नहीं। यदि है, तो उसके बारे में सोचना सही है, अन्यथा व्यर्थ है।
- अपनी चिंताओं के बारे में अपने करीबी से बात करें। इससे आप के भीतर की एंग्जायटी कम हो सकती है।
- अपनी एंग्जायटी को कम करने के लिए आप मेडिटेशन भी कर सकते हैं, जिससे आपका दिमाग शांत और फ्रेश रहेगा।
- रिसर्च में पता चला है कि संगीत सुनने से दिमाग शांत होता है। इसलिए, एंग्जायटी को कम करने के लिए आप मधुर संगीत सुन सकते हैं। जरूरी नहीं कि आप दिमाग को उत्तेजित करने वाला संगीत सुनें। आप बासुरी की धुन, कुछ लोक संगीत, ट्रांस, नेचर साउंड जैसे पानी का बहना, चिड़ियों का चहकना जैसे साउंड या बैकग्राउंड साउंड को सुन कर खुद को रिलैक्स कर सकते हैं।
- जब भी आपको बहुत ज्यादा चिंता या एंग्जायटी हो रही हो, तो गहरी सांस लें। इससे आपका मन और दिमाग दोनों शांत होंगे। गहरी सांस लेने से आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है और कई बार ध्यान केंद्रित करने में भी मदद मिलती है।
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